संधि और इसके प्रत्येक भेद व्याकरण और भाषा का एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि ये शब्द निर्माण और शब्द अर्थ में सहायक हैं. इनसे भी परीक्षा में कई प्रश्न पूछें जाते हैं अतः विद्यार्थियों के ये जानना अनिवार्य हैं. संधि दो वर्णों के मेल से पैदा होने वाले विकार को कहा जाता है, इसके प्रमुख तीन भेद हैं, व्यंजन संधि भी एक महत्वपूर्ण संधि भेद हैं. आज के इस लेख में हम व्यंजन संधि की परिभाषा के साथ साथ व्यंजन संधि के 100 उदाहरण देखेंगे और इसे गहराई से समझने का प्रयास करेंगे. अतः इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ें...
व्यंजन संधि के 100+ उदाहरण - Vyanjan Sandhi ke 100+ Udaharan |
व्यंजन संधि किसे कहते हैं (Vyanjan Sandhi Kise Kahate Hain)
व्यंजन संधि की परिभाषा: एक व्यंजन का दूसरे व्यंजन या स्वर से मिलने पर जो विकार (परिवर्तन) उपन्न होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं। उदाहरण के लिए सत् + जन = सज्जन, जगत् + नाथ = जगन्नाथ, दिक् + गज = दिग्गज, उत + लास = उल्लास, सम् + गम = संगम।
व्यंजन संधि के 10 उदाहरण (Vyanjan Sandhi ke 10 Udaharan)
यहां व्यंजन संधि के 10 उदाहरण दिए गए हैं जो व्यंजन संधि को समझाने में मदद करते हैं:
- सत् + जन = सज्जन
- जगत् + नाथ = जगन्नाथ
- दिक् + गज = दिग्गज
- सम् + गम = संगम
- परम् + तु = परंतु
- सम् + ध्या = संध्या
- सम् + चय = संचय
- किम् + तु = किंतु
- सम् + तोष = संतोष
- दिक् + गज = दिग्गज
व्यंजन संधि के 100+ उदाहरण (Vyanjan Sandhi ke 100+ Udaharan)
- उत् + लास = उल्लास
- जगत् + ईश = जगदीश
- तत् + अनुसार = तदनुसार
- तत् + भव = तद्भव
- उत् + घाटन = उद्घाटन
- सत् + भावना = सद्भावना
- उत् + यम = उद्यम
- भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति
- जगत् + अंबा = जगदंबा
- सत् + धर्म = सद्धर्म
- सत् + वाणी = सद्वाणी
- भगवत् + भजन = भगवद्भजन
- सत् + गति = सद्गति
- भगवत् + गीता = भगवद्गीता
- उत् + धार = उद्धार
- सत् + उपयोग = सदुपयोग
- वृहत् + टीका = वृहट्टीका
- उत् + ज्वल = उज्ज्वल
- तत् + टीका = तट्टीका
- उत् + लेख = उल्लेख
- तत् + लीन = तल्लीन
- उत् + डयन = उड्डयन
- अहम् + कार = अहंकार
- सम् + कीर्ण = संकीर्ण
- वाक् + मय = वाङ्मय
- उत् + चारण = उच्चारण
- सत् + चरित्र = सच्चरित्र
- उत् + छिन्न = उच्छिन्न
- उत् + चरित = उच्चरित
- सत् + चित् = सच्चित्
- सत् + जन = सज्जन
- शरत् + चंद्र = शरदचंद्र
- जगत् + छाया = जगच्छाया
- विपत् + जाल = विपज्जाल
- जगत् + जननी = जगज्जननी
- जगत् + नाथ = जगन्नाथ
- षट् + मुख = षण्मुख
- सत् + मति = सन्मति
- तत् + मय = तन्मय
- उत् + नयन = उन्नयन
- सम् + हार = संहार
- सम् + योग = संयोग
- सम् + रचना = संरचना
- सम् + वर्धन = संवर्धन
- सम् + शय = संशय
- सम् + वाद = संवाद
- सत् + मार्ग = सन्मार्ग
- तत् + नाम = तन्नाम
- सम् + लाप = संलाप
- सम् + वत = संवत
- उत् + मेष = उन्मेष
- उत् + नायक = उन्नायक
- उत् + नति = उन्नति
- सम् + कल्प = संकल्प
- सम् + भव = संभव
- सम् + गत = संगत
- सम् + ताप = संताप
- सम् + जय = संजय
- सम् + चित = संचित
- सम् + पूर्ण = संपूर्ण
- सम् + जीवनी = संजीवनी
- सम् + भाषण = संभाषण
- दिक् + नाग = दिङ्नाग
- सत् + नारी = सन्नारी
- उत् + मत्त = उन्मत्त
- षट् + मास = षण्मास
- उत् + नायक = उन्नायक
- उत् + मित्र = सन्मित्र
- चित् + मय = चिन्मय
- हृदयम् + गम = हृदयंगम
- किम् + कर = किंकर
- किम् + चित् = किंचित्
- सम् + बंध = संबंध
- संधि + छेद = संधिच्छेद
- स्व + छंद = स्वच्छंद
- परि + छेद = परिच्छेद
- वि + छेद = विच्छेद
- सम् + ध्या = संध्या
- वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया
- आ + छादन = आच्छादन
- अनु + छेद = अनुच्छेद
- लक्ष्मी + छाया = लक्ष्मीच्छाया
- छत्र + छाया = छत्रच्छाया
- परम् + तु = परंतु
- सम् + लग्न = संलग्न
- सम् + सार = संसार
- सम् + शोधन = संशोधन
- सम् + यम = संयम
- सं + रक्षा = संरक्षा
- सम् + रक्षण = संरक्षण
- सम् + विधान = संविधान
- सम् + रक्षक = संरक्षक
- सम् + वहन = संवहन
- सम् + युक्त = संयुक्त
- सम् + स्मरण = संस्मरण
- सम् + चय = संचय
- सम् + गम = संगम
- किम् + तु = किंतु
- सम् + तोष = संतोष
- सम् + घर्ष = संघर्ष
- दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन
- दिक् + गज = दिग्गज
- दिक् + अंबर = दिगंबर
- वाक् + दत्ता = वाग्दत्ता
- दिक् + अंत = दिगंत
- वाक् + ईश = वागीश
- अच् + अंत = अजंत
- षट् + आनन = षडानन
व्यंजन संधि से संबंधित प्रश्न (FAQs)
1. व्यंजन संधि किसे कहते हैं?
जब एक व्यंजन, दूसरे व्यंजन या स्वर से मिलता है तो इससे विकार पैदा होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं। उदाहरण के लिए, किम् + तु = किंतु, सम् + तोष = संतोष, सम् + घर्ष = संघर्ष, जगत् + नाथ = जगन्नाथ, उत + लास = उल्लास आदि।
2. व्यंजन संधि के 10 उदाहरण क्या हैं?
व्यंजन संधि के 10 उदाहरण:
- सम् + चय = संचय
- सम् + गम = संगम
- किम् + तु = किंतु
- सम् + तोष = संतोष
- सम् + घर्ष = संघर्ष
- दिक् + गज = दिग्गज
- दिक् + अंबर = दिगंबर
- वाक् + दत्ता = वाग्दत्ता
- दिक् + अंत = दिगंत
- सम् + रक्षण = संरक्षण
समापन
संक्संषेप में कहें तो व्यंजन संधि, संधि का एक महत्वपूर्ण भेद है. व्यंजन संधि बनता है जब एक व्यंजन दूसरे व्यंजन या स्वर से मिलकर विकार उत्पन्न करता है।
आशा करते हैं कि आज का यह लेख "व्यंजन संधि के 100+ उदाहरण (Vyanjan Sandhi ke 100+ Udaharan)" आपको पसंद आया और कुछ नया सीखने को मिला। इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी शेयर करना न भूलें. आप 100 पर्यायवाची शब्द जानकर अपना नॉलेज बड़ा सकते हैं.