समास (Samas) किसे कहते हैं - परिभाषा, भेद और 100 उदाहरण - Study Friend

समास (Samas) किसे कहते हैं - परिभाषा, भेद और 100 उदाहरण

जब दो या दो से अधिक शब्द अपने बीच के विभक्ति को छोड़कर एक नए अर्थ वाले शब्द का निर्माण करते हैं, तो इसी मेल को समास (samas) कहते हैं।

 व्याकरण और भाषा में समास (Samas) एक महत्वपूर्ण विषय है। यह बातचीत और भाषाशैली में आकर्षण लाता है। इसके अलावे परीक्षा की दृष्टि से समास एक आवश्यक विषय है, इसलिए इसे पढ़ना और समझना जरुर है। आज के इस लेख में हम समास के बारे में विस्तार से जानेंगे, और देखेंगे कि समास किसे कहते हैं (Samas Kise Kahate Hain), समास के भेद (Samas ke bhed) और 100 उदाहरण क्या हैं?

समास किसे कहते हैं (Samas Kise Kahate Hain)

समास (Samas) किसे कहते हैं - परिभाषा, भेद और 100 उदाहरण
समास (Samas) किसे कहते हैं?

समास की परिभाषा (Samas ki Paribhasha):

जब दो या दो से अधिक शब्द अपने बीच के विभक्ति को छोड़कर एक नए अर्थ वाले शब्द का निर्माण करते हैं, तो इसी मेल को समास (samas) कहते हैं। जैसे - राजा का मंत्री = राजमंत्री, रस से भरा = रसभरा, लाभ या हानि = लाभ-हानि, आदि।

समास विग्रह (Samas Vigrah): सामासिक शब्दों को जब विभक्ति का प्रयोग करके अलग-अलग किया है, तो इस प्रक्रिया को समास विग्रह कहते हैं। जैसे - राजमंत्री = राजा का मंत्री, लौहपुरुष = लौहे के समान पुरुष।

समास के कितने भेद होते हैं (Samas ke Kitne Bhed Hote Hain)

समास के छः भेद होते हैं:
  1. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
  2. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
  3. द्विगु समास (Dvigu Samas)
  4. द्वंद्व समास (Dwandwa Samas)
  5. बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)
  6. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)

1. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)

जिस सामासिक शब्द का अंतिम पद (उत्तर पद) प्रधान होता है उसे तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) कहते हैं। जैसे - राजमंत्री ने सेना को आदेश दिया। यहाँ आदेश देने का काम मंत्री करता है, इसलिए मंत्री प्रधान पद है और अंतिम पद भी। अतः राजमंत्री तत्पुरुष समास का एक उदाहरण है।

तत्पुरुष समास के 10 उदाहरण
  1. स्वास्थ्यरक्षा - स्वास्थ की रक्षा
  2. गोबरगणेश - गोबर का गणेश
  3. ब्राह्मणपुत्र - ब्राह्मण का पुत्र
  4. राजपुत्र - राजा का पुत्र
  5. राजमाता - राजा की माता
  6. राजकन्या - राजा की कन्या
  7. वीरकन्या - वीर की कन्या
  8. राजभवन - राजा का भवन
  9. राजगृह - राजा का गृह
  10. कनकघर - कनक (सोने) का घर
  11. श्रमदान - श्रम का दान

2. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)

जिस सामासिक शब्द का पहला पद विशेषण या उपमावाचक हो, उसे कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) कहते हैं। जैसे - चन्द्रमुखी, नीलकमल, चरणकमल आदि।

कर्मधारय समास के 10 उदाहरण
  1. नीलकमल - नीला है जो कमल
  2. पुरुषोत्तम - पुरुषों में है जो उत्तम
  3. परमानंद - परम है जो आनंद
  4. लौहपुरुष - लौहे के समान पुरुष
  5. लालटोपी - लाल है जो टोपी
  6. महाविद्यालय - महान है जो विद्यालय
  7. अधपका - आधा है जो पका
  8. महाराज - महान है जो राजा
  9. महावीर - महान है जो वीर
  10. महापुरुष - महान है जो पुरुष

3. द्विगु समास (Dvigu Samas)

जिस सामासिक शब्द का पहला खंड 'संख्यावाचक विशेषण' हो, उसे द्विगु समास (Dvigu Samas) कहते हैं। जैसे - चौराहा, पंचवटी, त्रिलोक, चौपाई, आदि।

द्विगु समास के 10 उदाहरण
  1. दोपहर - दो पहरों का समाहार
  2. शताब्दी - सौ सालों का समूह
  3. पंचतंत्र - पांच तंत्रों का समाहार
  4. सप्ताह - सात दिनों का समूह
  5. छमाही - छह माहों का  समाहार
  6. अष्टधातु - आठ धातुओं का समाहार
  7. त्रिवेणी - तीन वेणियों का समाहार
  8. तिमाही - तीन माहों का समाहार
  9. चौमासा - चार मासों का समाहार
  10. नवरत्न - नव रत्नों का समाहार

4. द्वंद्व समास (Dwandwa Samas)

जिस सामासिक शब्द के दोनों ही पद प्रधान हो उसे द्वंद्व समास (Dwandwa Samas) कहते हैं। जैसे - राम-सीता, राधा-कृष्ण, गौरी-शंकर, लौटा-डोरी, दाल-रोटी आदि।

द्वंद्व समास के 10 उदाहरण
  1. अन्न-जल - अन्न और जल
  2. कृष्णार्जुन - कृष्ण और अर्जुन
  3. दिन-रात - दिन और रात
  4. काला-गोरा - काला और गोरा
  5. दाल-रोटी - दाल और रोटी
  6. घटी-बढ़ी - घटी और बढ़ी
  7. खट्ठा-मीठा - खट्टा और मीठा
  8. ऋषि-मुनि - ऋषि और मुनि
  9. शीतोष्ण - शीत और उष्ण
  10. हृष्ट-पुष्ट - हृष्ट और पुष्ट
  11. ऊपर-नीचे - ऊपर और नीचे

5. बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)

जिस सामासिक शब्द का कोई प्रधान खंड न हो और वह सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ धारण करें उसे बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) कहते हैं। जैसे - लम्बोदर - लम्बा हो जिनका उदर अर्थात् गणेश, चंद्रशेखर - जिनके सिर पर चन्द्रमा हो अर्थात् शंकर, आदि।
 
बहुव्रीहि समास के 10 उदाहरण
  1. चतुर्भुज – चार है भुजाएं जिसकी (विष्णु)
  2. चक्रधर – चक्र को धारण करने वाला (विष्णु)
  3. पीतांबर – पीत (पीले) अंबर (वस्त्र) है जिसके (कृष्ण)
  4. चंद्रशेखर – चंद्र है शेखर (मस्तक) पर जिसके (शिव)
  5. घनश्याम – घन के समान श्याम है जो (कृष्ण)
  6. षटकोण – षट (छह) कोण है जिसमें (वह आकृति)
  7. दशानन – दस आनन (मुख) वाला (रावण)
  8. गजानन – गज के समान मुख जिसका (गणेश)
  9. नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका (शिव)
  10. लंबोदर – लंबा है उदर (पेट) जिसका (गणेश)
  11. चंद्रमुखी – चंद्र के समान मुख् है जिसका (कोई स्त्री)

6. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)

जिस सामासिक शब्द का पहला पद प्रधान हो और जिसका रूप नहीं बदले, उसे अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas) कहते हैं। जैसे - यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार, यथासंभव - संभव के अनुसार आदि।

अव्ययीभाव समास के 10 उदाहरण
  1. आजन्म - जन्म से लेकर
  2. अनुजयेष्ठ - ज्येष्ठ के क्रम से
  3. यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार
  4. यथासमय - समय के अनुकूल
  5. प्रतिदिन - दिन-दिन
  6. अनुरूप - रूप के योग्य
  7. निर्जन - जनों का अभाव
  8. भरपेट - पेट भरकर
  9. निर्भय - बिना भय का
  10. यथार्थ - अर्थ के अनुसार
  11. मनमाना - मन के अनुसार
  12. बेकार - बिना काम का

समास के 100 उदाहरण (Samas ke Udaharan)

सामासिक शब्द समास विग्रह
चौराहा चार राहों का समूह
त्रिकोण तीन कोणों का समूह
तिरंगा तीन रंगों का समूह
त्रिफला तीन फलों का समूह
चारपाई चार पैरों का समूह
चतुर्मुख चार मुखों का समाहार
नवरत्न नव रत्नों का समाहार
स्वास्थ्यरक्षा स्वास्थ की रक्षा
गोबरगणेश गोबर का गणेश
ब्राह्मणपुत्र ब्राह्मण का पुत्र
राजपुत्र राजा का पुत्र
राजमाता राजा की माता
राजकन्या राजा की कन्या
नीलकमल नीला है जो कमल
पुरुषोत्तम पुरुषों में है जो उत्तम
परमानंद परम है जो आनंद
लौहपुरुष लौहे के समान पुरुष
लालटोपी लाल है जो टोपी
महाविद्यालय महान है जो विद्यालय
अधपका आधा है जो पका
महाराज महान है जो राजा
महावीर महान है जो वीर
महापुरुष महान है जो पुरुष
वीरकन्या वीर की कन्या
राजभवन राजा का भवन
राजगृह राजा का गृह
कनकघर कनक (सोने) का घर
श्रमदान श्रम का दान
सतसई सात सौ दोहों का समाहार
त्रिभुवन तीन भुवनों का समाहार
दोराहा दो राहों का समाहार
अठकोना आठ कोनो का समाहार
दोपहर दो पहरों का समाहार
शताब्दी सौ सालों का समूह
पंचतंत्र पांच तंत्रों का समाहार
सप्ताह सात दिनों का समूह
छमाही छह माहों का समाहार
अष्टधातु आठ धातुओं का समाहार
त्रिवेणी तीन वेणियों का समाहार
तिमाही तीन माहों का समाहार
चौमासा चार मासों का समाहार
अन्न-जल अन्न और जल
कृष्णार्जुन कृष्ण और अर्जुन
दिन-रात दिन और रात
शीतातप शीत या आतप
काला-गोरा काला और गोरा
दाल-रोटी दाल और रोटी
घटी-बढ़ी घटी और बढ़ी
खट्ठा-मीठा खट्टा और मीठा
ऋषि-मुनि ऋषि और मुनि
शीतोष्ण शीत और उष्ण
हृष्ट-पुष्ट हृष्ट और पुष्ट
ऊपर-नीचे ऊपर और नीचे
चतुर्भुज चार है भुजाएं जिसकी (विष्णु)
पंचानन पांच है आनन जिसके (सिंह)
षटकोण षट (छह) कोण है जिसमें (वह आकृति)
दशानन दस आनन (मुख) वाला (रावण)
बारहसिंगा बारह सींगा है जिसके (मृग विशेष)
गजानन गज के समान मुख जिसका (गणेश)
नीलकंठ नीला है कंठ जिसका (शिव)
लंबोदर लंबा है उदर (पेट) जिसका (गणेश)
चंद्रमुखी चंद्र के समान मुख् है जिसका (कोई स्त्री)
चक्रधर चक्र को धारण करने वाला (विष्णु)
पीतांबर पीत (पीले) अंबर (वस्त्र) है जिसके (कृष्ण)
चंद्रशेखर चंद्र है शेखर (मस्तक) पर जिसके (शिव)
घनश्याम घन के समान श्याम है जो (कृष्ण)
अजातशत्रु नहीं पैदा हुआ जो शत्रु (कोई व्यक्ति)
महात्मा महान है आत्मा जिसकी (व्यक्ति विशेष)
आजन्म जन्म से लेकर
यथामति मति के अनुसार
प्रतिदिन दिन-दिन
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
अनजाने बिना जाने
घर-घर प्रत्येक घर
निस्संदेह संदेह रहित
प्रत्यक्ष आँखों के सामने
बेखटके बिना खटके
यथासमय समय के अनुसार
यथारुचि रूचि के अनुसार
प्रतिवर्ष प्रत्येक वर्ष
प्रतिसप्ताह प्रत्येक सप्ताह
यथाक्रम क्रम के अनुसार
यथानाम नाम के अनुसार
प्रतिपल पल-पल
प्रत्येक हर एक
आजीवन जीवन भर
आमरण मृत्यु तक
निडर बिना डर के
हरघडी घडी-घडी
प्रतिमास प्रत्येक मास
हाथों हाथ एक हाथ से दुसरे हाथ
सहसा एक दम से
अकारण बिना कारण के
धड़ाधड़ जल्दी से
बेरहम बिना रहम के
बकायदा कायदे के साथ
बेकाम बिना काम का
अध्यात्म आत्मा से सम्बंधित
निस्संदेह बिना संदेह के
बेशक बिना शक के
बेनाम बिना नाम के
बेकाम बिना काम के
बेलगाम लगाम के बिना
भरपेट पेट भर कर
भरपूर पूरा भर के
रातभर पूरी रात
दिनभर पूरे दिन
रातोंरात रात ही रात में
हाथोंहाथ एक हाथ से दुसरे हाथ में
घडी-घडी हर घडी
साफ़-साफ़ बिलकुल स्पष्ट
आजन्म जन्म से लेकर
आकंठ कंठ तक
अनुजयेष्ठ ज्येष्ठ के क्रम से
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
यथासमय समय के अनुकूल
प्रतिदिन दिन-दिन
अनुरूप रूप के योग्य
निर्जन जनों का अभाव
निर्मक्षिक मक्षिक (मक्खी) अभाव
भरपेट पेट भरकर
निर्भय बिना भय का
प्रत्यक्ष अक्षि के प्रति
निधड़क बिना धड़क के
यथार्थ अर्थ के अनुसार
मनमाना मन के अनुसार
बेकार बिना काम का

समास से पूछें जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. पंचवटी में कौन सा समास है?
पंचवटी द्विगु समास है। इसका समास विग्रह है - पांच वटों का समूह।

2. चौराहा में कौन सा समास है?
चौराहा द्विगु समास का एक उदाहरण है। इसका समास विग्रह "चार राहों का समूह" है।

3. तिरंगा में कौन सा समास है?
तिरंगा द्विगु समास है और इसका समास विग्रह "तीन रंगों का समाहार" है।

4. लंबोदर का समास विग्रह क्या है?
लम्बोदर बहुव्रीहि समास का एक उदाहरण है, क्योंकि इसका समास विग्रह "लम्बा हो जिनका उदर (पेट) अर्थात् गणेश" होता है।

5. नीलकमल का समास विग्रह क्या है?
नीलकमल कर्मधारय समास है और इसका समास विग्रह है - नीला है जो कमल।

6. देशांतर में कौन सा समास है?
देशांतर तत्पुरुष समास का एक उदाहरण है और इसका समास विग्रह "देशों के बीच अंतर" होता है।

7. त्रिवेणी में कौन सा समास है?
त्रिवेणी दमें द्विगु समास है, और इसका समास विग्रह तीन नदियों का समाहार होगा।

8. राजपुत्र का समास विग्रह क्या है?
राजपुत्र का समास विग्रह राजा का पुत्र है, और यह तत्पुरुष समास है।

9. पीतांबर का समास विग्रह क्या है?
पीताम्बर का समास विग्रह होगा - पीत (पीले) अम्बर (वस्त्र) हैं जिनके अर्थात् कृष्ण।

10. देवासुर में कौन सा समास है?
देवासुर द्वंद्व समास का एक उदाहरण है, क्योंकि इसका समास विग्रह देव और असुर होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने व्याकरण के एक महत्वपूर्ण विषय के बारे में पढ़ा और हमने देखा कि समास किसे कहते हैं (Samas Kise Kahate Hain), समास के भेद (Samas ke bhed) और 100 उदाहरण क्या हैं? आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें और कोई सवाल है नीचे कमेंट कर सकते हैं।

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My name is Gyanesh Kushwaha, and I’m a college student who’s passionate about reading, writing and coding. I am here to share straightforward advice to students. So if you’re a student (high school, college, or beyond) looking for tips on studying, …

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