Evolution of Geographical Thought Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi PDF (Geography Semester 1) - Study Friend

Evolution of Geographical Thought Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi PDF (Geography Semester 1)

इस पोस्ट में हमने सेमेस्टर 1 के Evolution of Geographical Thought के नोट्स, सिलेबस, और इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन को देखेंगे।

 

Subject: Evolution of Geographical Thought (Geography)
Semester: UG Sem 1
Notes Language: Hindi
Evolution of Geographical Thought Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi PDF (Geography Semester 1)
Evolution of Geographical Thought Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi PDF (Geography Semester 1)

भौगोलिक चिंतन का विकास का पाठ्यक्रम (Evolution of Geographical Thought Syllabus)

यूनिट 1:

  1. भूगोल की परिभाषा, प्रकृति और व्यापकता (Definition, Nature and Scope of Geography)
  2. भारत में भौगोलिक चिंतन का विकास (Development of Geographical Thought in India)
  3. भूगोल में नए परिदृश्य (Paradigms in Geography)

यूनिट 2:

  1. पूर्व-आधुनिक - प्राचीन भौगोलिक सोच के प्रारंभिक मूल, क्लासिकल और मध्ययुगीन दर्शनों के संदर्भ में (Pre-Modern - Early Origins of Geographical Thinking with Reference to the Classical and Medieval Philosophies)

यूनिट 3:

  1. आधुनिक - जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका में भूगोलीय विचार और विधायिका ट्रेंड का विकास (Modern - Evolution of Geographical Thinking and Disciplinary Trends in Germany, France, Britain, United States of America)

यूनिट 4:

  1. वाद-विवाद पर्यावरणवाद और संभावनवाद (Debates Environmental Determinism and Possibilism)
  2. नव-निर्धारितवाद/प्रायिकतावाद, तंत्रिक और क्षेत्रीय (Neo-Determinism/ Probablism Systematic and Regional)
  3. आइडेंटिफिक और नोमोथेटिक (Ideographic and Nomothetic)

यूनिट 5:

  1. ट्रेंड्स - मात्रात्मक क्रांति और इसका प्रभाव (Trends Quantitative Revolution and its Impact):
  2. व्यवहारवाद (Behaviouralism)
  3. प्रणाली दृष्टिकोण (Systems Approach)
  4. रेडीकेलिज्म (Radicalism)
  5. नारीवाद (Feminism)
  6. पोस्ट-मॉडर्निज्म में भूगोल में स्थान की बदलती अवधारणा (Towards Post-Modernism Changing Concept of Space in Geography)
  7. भूगोल में भविष्य (Future of Geography)
  8. भूगोल में पैराडाइमेटिक शिफ्ट (Paradigmatic Shift in Geography)

Evolution of Geographical Thought Notes in Hindi

यूनिट 1:

1. भूगोल की परिभाषा, प्रकृति और व्यापकता (Definition, Nature and Scope of Geography)

परिभाषा:

  • सरल शब्दों में: भूगोल पृथ्वी और पर्यावरण के अलग-अलग रूपों और प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसमें पृथ्वी की सतह, जलवायु, वनस्पति, जीव-जंतु, मानव और उनके आपसी संबंधों, देशों, द्वीपों आदि का अध्ययन शामिल है।
  • विस्तृत परिभाषा: भूगोल एक अंतःविषय (Interdisciplinary) विज्ञान है जो पृथ्वी तल पर होने वाले अलग-अलग घटनाओं और प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसमें भौतिक भूगोल, मानव भूगोल और पर्यावरण भूगोल शामिल हैं।

भूगोल की प्रकृति:

  1. वैज्ञानिक: भूगोल एक वैज्ञानिक विषय (Scientific Subject) है जो वैज्ञानिक विधियों (Scientific Approaches) का उपयोग करके पृथ्वी तल और पर्यावरण पर शोध करता है।
  2. अंतःविषय: भूगोल भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और मानविकी (Humanities) जैसे विभिन्न विषयों से जुड़ा हुआ है।
  3. स्थानीय: भूगोल स्थानीय विश्लेषण पर आधारित है, यानी यह विभिन्न घटनाओं और प्रक्रियाओं के उस स्थल के स्थानीय तथ्यों, वितरण और पैटर्न का अध्ययन करता है।
  4. परिवर्तनशील: भूगोल एक परिवर्तनशील विषय है जो समय के साथ बदलती घटनाओं और प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है।

भूगोल की व्यापकता:

  1. भौतिक भूगोल: भूगोल के इस भाग में भू-आकृति, मिट्टी, जल संसाधन, खनिज, आदि का अध्ययन शामिल है।
  2. मानव भूगोल: इसमें जनसंख्या, कृषि, उद्योग, व्यापार, परिवहन, आदि का अध्ययन शामिल है।
  3. पर्यावरण भूगोल: इसमें पर्यवारण के परस्पर क्रियाओं, मानव गतिविधियों का पर्यावरण पर प्रभाव, प्राकृतिक आपदाओं, आदि का अध्ययन किया जाता है।

2. भारत में भौगोलिक चिंतन का विकास (Development of Geographical Thought in India)

भारत में भौगोलिक चिंतन का विकास प्राचीन काल से ही होता रहा है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी भौगोलिक जानकारी मिलती है।

प्राचीन काल:

  • वेद: वेदों में पृथ्वी, सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों और नक्षत्रों के बारे में जिक्र है, इससे यह पता चलता है कि प्राचीन काल के लोग भी भूगोल की समझ रखते थे।
  • पुराण: पुराणों में भी भारत के विभिन्न क्षेत्रों, नदियों, पर्वतों और वनों का वर्णन मिलता है।
  • ज्योतिषी: ज्योतिष के क्षेत्र में भी भारत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें ग्रह, नक्षत्र के बारे में विवरण होता है।
  • आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्म गुप्त, भास्कराचार्य जैसे कई भूगोलवेत्ता (भूगोल शास्त्री) हुए।

मध्यकाल:

  • अरब भूगोल शास्त्री: अरब भूगोल शास्त्री, जैसे अल-बरूनी और इब्न बतूता, ने भारत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
  • मुगल काल: मुगल काल में, भारत में कई महत्वपूर्ण भौगोलिक सर्वेक्षण किए गए।

आधुनिक काल:

  • ब्रिटिश शासन: ब्रिटिश शासन के दौरान, भारत में भौगोलिक अध्ययन का आधुनिकीकरण शुरू हुआ।
  • भारतीय भूगोल शास्त्री: कई भारतीय भूगोल शास्त्री, जैसे एस.पी. चटर्जी ने भारत के भूगोल पर महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आज:

  • आधुनिक भूगोल: आज, भारत में भूगोल एक महत्वपूर्ण विषय है।
  • विभिन्न क्षेत्र: भूगोल के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे भौतिक भूगोल, मानव भूगोल, और पर्यावरण भूगोल, में भारत में रिसर्च किया जा रहा है।

भारतीय भौगोलिक चिंतन की विशेषताएं:

  • धार्मिक प्रभाव: भारतीय भौगोलिक चिंतन पर धर्म का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है।
  • मानवतावाद: भारतीय भौगोलिक चिंतन में मानवतावाद को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

3. भूगोल में नए परिदृश्य (Paradigms in Geography)

भूगोल एक परिवर्तनशील विषय है जो समय के साथ बदलता रहता है। भूगोल में नए परिदृश्य (Paradigms) नए दृष्टिकोण और विचारधाराएं आते रहते हैं जो भूगोल के अध्ययन में बदलाव लाते हैं।

कुछ प्रमुख नए परिदृश्य:

  • पर्यावरणवाद: पर्यावरणवाद भूगोल में एक नया परिदृश्य है, जो आज के समय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह मानव गतिविधियों के पर्यावरण पर प्रभाव और पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान पर आधारित है।
  • सतत विकास: सतत विकास भूगोल में एक और महत्वपूर्ण नया परिदृश्य है। यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए पृथ्वी के संसाधनों का संरक्षण करने पर केंद्रित है।
  • वैश्वीकरण: वैश्वीकरण भूगोल में, दुनिया के विभिन्न देशों के बीच बढ़ते हुए संबंधों के कारण जुड़ा है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी: बढ़ती सूचना प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप यह भौगोलिक डेटा के संग्रह, विश्लेषण और प्रस्तुति में क्रांति ला रहा है।
  • मानवतावाद: मानवतावाद भूगोल के अध्ययन में मानवता और सामाजिक न्याय पर केंद्रित है।

नए परिदृश्यों का भूगोल के अध्ययन पर प्रभाव डालते हैं:

  • वे भूगोल के अध्ययन के दायरे को बढ़ाते हैं।
  • वे भूगोल के अध्ययन के तरीकों को बदलते हैं।
  • वे भूगोल के अध्ययन के लक्ष्यों को परिवर्तित करते हैं।

यूनिट 2:

भौगोलिक चिंतन का इतिहास प्राचीन काल से शुरू होता है। दुनिया के बारे में जानने की इच्छा प्राचीन काल से ही मानवों में रही है। उस समय, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से दर्शन और धर्म से जुड़ा हुआ था।

प्राचीन भौगोलिक चिंतन के प्रारंभिक मूल:

  • भारत: भारत में, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से धर्म और ज्योतिष से जुड़ा हुआ था। इसका विवरण वेदों, पुराणों और अन्य शास्त्रों में मिलता है।
  • मेसोपोटामिया: मेसोपोटामिया में, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से खगोल विज्ञान और ज्योतिष से जुड़ा हुआ था।
  • मिस्र: मिस्र में, भूगोल का अध्ययन नक्शा बनाने और भूमि सर्वेक्षण से सम्बंधित था।
  • ग्रीक: ग्रीक में, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से दर्शन और विज्ञान से जुड़ा हुआ था।
  • चीन: चीन में, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से दर्शन और इतिहास से जुड़ा हुआ था।

क्लासिकल और मध्यकालीन दर्शनों के संदर्भ में:

  • क्लासिकल और मध्यकालीन दर्शनों में भौगोलिक चिंतन का महत्वपूर्ण स्थान था।
  • भारतीय, ग्रीक और रोमन दार्शनिकों ने भूगोल के बारे में विभिन्न सिद्धांतों को उजागर किया, जैसे कि ज़मीन के तत्व, आकाश, जलवायु, और समाजिक व्यवस्था।
  • आर्यभट्ट, अल-बेरूनी, और अबू रायहान जैसे वैज्ञानिकों ने भूगोल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिए।

यह भी ध्यान दें:

  • पूर्व-आधुनिक काल में भौगोलिक ज्ञान सीमित था।
  • उस समय भौगोलिक ज्ञान अक्सर गलत था और अंधविश्वासों से भरा हुआ था।
  • उस काल में भौगोलिक ज्ञान का उपयोग मुख्य रूप से व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था.

यूनिट 3:

आधुनिक भौगोलिक चिंतन का विकास (Modern - Evolution of Geographical Thinking)

आधुनिक भूगोल
  • पंद्रहवीं शताब्दी के अंत और सोलहवीं शताब्दी के शुरू में, मैगेलेन और ड्रेक ने अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के स्थलों को खोजा और पृथ्वी का चक्कर लगाया।
  • स्पेन, पुर्तगाल, और हॉलैंड के खोजी यात्री ने दुनिया के नए स्थानों की खोज की।
  • 16वीं और 17वीं शताब्दियों में, विस्तार, मानचित्र, पर्वत, और नदी प्रणालियों के ज्ञान का स्तर बढ़ा, जिसका संग्रह मानचित्रकारों ने किया।
जर्मनी:
  • जर्मनी में, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से स्थानीय क्षेत्रों के अध्ययनों पर आधारित था।
  • जर्मन भूगोलवेत्ताओं ने भूगोल को एक वैज्ञानिक विषय के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
फ्रांस:
  • फ्रांस में, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से मानव भूगोल और क्षेत्रीय अध्ययनों पर केंद्रित था।
  • फ्रांसीसी भूगोलवेत्ताओं ने भूगोल के सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं पर महत्वपूर्ण योगदान दिया।
ब्रिटेन:
  • ब्रिटेन में, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से भौतिक भूगोल और रिसर्च पर केंद्रित था।
  • ब्रिटिश भूगोलवेत्ताओं ने दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाने और उनका मानचित्रण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
संयुक्त राज्य अमेरिका:
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में, भूगोल का अध्ययन मुख्य रूप से पर्यावरण भूगोल और संसाधन प्रबंधन पर केंद्रित था।
  • अमेरिकी भूगोलवेत्ताओं ने पर्यावरण की रक्षा और संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

यूनिट 4:

1. वाद-विवाद पर्यावरणीय नियतिवाद और संभावनावाद (Debates Environmental Determinism and Possibilism)

पर्यावरणीय नियतिवाद और संभावनावाद दो भिन्न विचारधाराएं हैं जो मानव समाज और पर्यावरण के बीच संबंधों को समझने का प्रयास करती हैं।

पर्यावरणीय नियतिवाद:
  • पर्यावरणीय नियतिवाद वह विचारधारा है जिसमें माना जाता है कि मानव समाज और संस्कृति मुख्य रूप से प्राकृतिक पर्यावरण पर निर्धारित होते हैं।
  • पर्यावरणीय नियतिवादी मानते हैं कि जलवायु, भूगोल, और अन्य प्राकृतिक कारक मानव समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
संभावनावाद:
  • संभावनावाद वह विचारधारा है जिसमें लोग मानते है कि मानव समाज और संस्कृति प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा पूरी तरह से निर्धारित नहीं होते हैं।
  • संभावनावादी मानते हैं कि मानव समाज के पास अपनी नियति चुनने की क्षमता है, और प्राकृतिक पर्यावरण केवल मानव समाज के विकास के लिए संभावनाएं प्रदान करता है।
वाद-विवाद:
पर्यावरणीय नियतिवाद और संभावनावाद के बीच मुख्य वाद-विवाद इस बात पर केंद्रित है कि प्राकृतिक पर्यावरण मानव समाज को कितना प्रभावित करता है।

पर्यावरणीय नियतिवादियों का तर्क:
  • प्राकृतिक पर्यावरण मानव समाज के विकास को सीमित करता है।
  • जलवायु, भूगोल, और अन्य प्राकृतिक कारक मानव समाज के विकास को गति देते हैं।
  • मानव समाज प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति निष्क्रिय है।
संभावनवादियों का तर्क:
  • प्राकृतिक पर्यावरण मानव समाज को पूरी तरह से निर्धारित नहीं करता है।
  • मानव समाज के पास अपनी नियति चुनने की क्षमता है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण केवल मानव समाज के विकास के लिए संभावनाएं प्रदान करता है।
  • मानव समाज प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति सक्रिय है।

2. नव-निर्धारितवाद/प्रायिकतावाद, तंत्रिक और क्षेत्रीय (Neo-Determinism/ Probablism Systematic and Regional)

नव-निर्धारितवाद/प्रायिकतावाद:
  • यह सिद्धांत कहता है कि पर्यावरणीय कारकों की पहले से निर्धारण हमारे भविष्य पर प्रभाव डालती है।
  • इसका मतलब है कि निश्चित परिस्थितियों में किसी निश्चित परिणाम की संभावना होती है, जिसका कारण पर्यावरणीय कारक होते हैं।
  • इस सिद्धांत के अनुसार, व्यक्तियों का कृत्य और निर्णय उनके पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं।
तंत्रिक और क्षेत्रीय:
  • यह दो भिन्न पहलुओं को संयोजित करने का प्रयास है।
  • तंत्रिक सोच के अनुयायी यह मानते हैं कि सामान्य नियमों और सिद्धांतों का उपयोग करके समग्र विश्लेषण किया जा सकता है।
  • क्षेत्रीय सोच के अनुयायी विशिष्ट क्षेत्रों के अध्ययन पर जोर देते हैं और उन्हें विशेष परिस्थितियों के साथ जोड़ते हैं।

3. इडीओग्रफिक और नोमोथेटिक (Ideographic and Nomothetic)

इडियोग्राफिक:

  • इडियोग्राफिक अध्ययन में विशिष्ट व्यक्तियों, समाजों, या स्थानों के विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।
  • इस प्रकार का अध्ययन व्यक्तिगत अनुभवों, सांस्कृतिक विविधताओं, और स्थानीय संदर्भों के ध्यान पर केंद्रित होता है।
  • इस अध्ययन में विशेष व्यक्तियों या समुदायों के विशेष गुणों और प्रभावों का मूल्यांकन किया जाता है।

नोमोथेटिक:

  • नोमोथेटिक अध्ययन में सामान्य कानूनों और सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है, जो समानान्तर रूप से विभिन्न समूहों या स्थितियों पर लागू होते हैं।
  • इस प्रकार का अध्ययन विशेष व्यक्तियों या स्थानों के विशेषताओं पर ध्यान नहीं देता, बल्कि उसे सामान्य नियमों, पैटर्न्स, और तत्वों को समझने के लिए किया जाता है।

यूनिट 5:

1. ट्रेंड्स - मात्रात्मक क्रांति और इसका प्रभाव (Trends Quantitative Revolution and its Impact):

मात्रात्मक क्रांति का अर्थ:
  • मात्रात्मक क्रांति एक भौगोलिक अद्यायन की प्रक्रिया है जिसमें सांख्यिकीय डेटा और आंकड़ों का उपयोग किया जाता है।
  • इस प्रकार के अध्ययन में, भौगोलिक प्रश्नों के उत्तर ढूंढने के लिए सांख्यिकीय तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
प्रभाव:
  • मात्रात्मक क्रांति ने भौगोलिक अनुसंधान में क्रांति लाई।
  • यह अनुसंधान की विधियों और उपायों को सुधारने में मदद करता है, जिससे अधिक सटीक और प्रभावी परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • इसने भौगोलिक अध्ययन को और वैज्ञानिक बनाया है और विश्वासी प्रतिफल प्राप्त किया है।

2. व्यवहारवाद (Behaviouralism)

अर्थ:
  • व्यवहारवाद भौगोलिक अनुसंधान में एक प्रमुख प्रागणनात्मक परिवर्तन है जो भौगोलिक विश्लेषण को विज्ञान के रूप में और अधिक व्यक्तिगत बनाता है।
  • इसमें ध्यान दिया जाता है कि लोग कैसे अपने भौगोलिक परिदृश्यों को संवेदनशीलता और आचरण के माध्यम से प्रभावित करते हैं।
विशेषताएँ:
  • व्यवहारवाद विशेष रूप से मानवीय आचरण, मनोवैज्ञानिक प्रेरणा, और सामाजिक प्रभावों के अध्ययन पर जोर देता है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य भौगोलिक प्रक्रियाओं को मानवीय अभिव्यक्ति और संघर्ष के माध्यम से समझना है।

3. प्रणाली दृष्टिकोण (Systems Approach)

अर्थ:
  • प्रणाली दृष्टिकोण एक विशेष परिवर्तनात्मक दृष्टिकोण है जो भौगोलिक अध्ययन को एक प्रणाली या प्रणाली के रूप में समझता है।
  • इसमें ध्यान दिया जाता है कि किसी भी भूगोलिक विषय को उसके घटकों और उनके आपसी संबंधों के साथ एक पूर्ण सिस्टम के रूप में देखा जाए।
विशेषताएँ:
  • प्रणाली दृष्टिकोण मानवीय संघर्ष, भौगोलिक प्रक्रियाओं, और उनके प्रभावों के बीच संबंध को समझने में मदद करता है।
  • इससे प्रभावी भूगोलिक नीतियों की योजना और कार्रवाई करने में मदद मिलती है, जिससे समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
  • इस दृष्टिकोण के अंतर्गत, विभिन्न भौगोलिक प्रणालियों को समझने के लिए विभिन्न मानव अनुसंधान, भौगोलिक फेंगशुई, और सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

4. रेडीकेलिज्म (Radicalism)

  • रेडीकलिज्म भौगोलिक अध्ययन में एक सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण है जो सामाजिक न्याय, समानता, और परिवर्तन को जरुरी मानता है।
  • यह विश्वास करता है कि समाज में व्यापारिक और सामाजिक न्याय के लिए परिवर्तन की जरुरत होती है।
  • रेडीकल भौगोलिक विचारधारा के अनुयायी अक्सर समाज के संरचनात्मक और आर्थिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए आंदोलन और प्रदर्शनों में शामिल होते हैं।

5. नारीवाद (Feminism)

  • नारीवाद भौगोलिक अध्ययन में एक सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक दृष्टिकोण है जो महिलाओं के अधिकारों, समानता, और सम्मान की बात करता है।
  • यह समाज में लिंग के आधार पर होने वाले असमानता, विभाजन, और शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ता है।
  • नारीवाद भौगोलिक अध्ययन में महिलाओं के द्वारा अनुभवों, समाजिक स्थिति, और प्रभाव की विशेषता प्रदर्शित करता है।
  • यह महिलाओं के साथ भौगोलिक अनुसंधान में भागीदारी और उनकी आवाज को सुनने का प्रयास करता है।
  • नारीवादी दृष्टिकोण महिलाओं के समूचे समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए है।

6. पोस्ट-मॉडर्निज्म में भूगोल में स्थान की बदलती अवधारणा (Towards Post-Modernism Changing Concept of Space in Geography)

  • पोस्ट-मॉडर्निज्म में, स्थान की अवधारणा में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है।
  • इस दृष्टिकोण के अनुसार, स्थान को केवल भौतिक स्थल के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवीय संघ का परिणाम माना जाता है।
  • पोस्ट-मॉडर्निज्म में स्थान की अवधारणा सार्थक है और भौगोलिक सीमाओं को पार करती है।
  • स्थान की प्रतिस्थापना, स्थान का गुणवत्ता, और स्थान के मान्यताओं का पुनर्विचार इस अध्ययन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

7. भूगोल का भविष्य (Future of Geography)

  • भूगोल के भविष्य में तकनीकी प्रगति का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
  • नए और परिवर्तनशील अनुसंधान प्रणालियों के विकास से भौगोलिक अध्ययन में कम समय और अधिक समृद्धि होगी।
  • भूगोल का भविष्य जलवायु परिवर्तन, साइबर स्पेस, ग्लोबलाइजेशन, और विकास इत्यादि के प्रभाव पर निर्भर होगा।

8. भूगोल में पैराडाइमेटिक शिफ्ट (Paradigmatic Shift in Geography)

भूगोल एक गतिशील विषय है जो समय के साथ बदलता रहता है। भूगोल में पैराडाइमेटिक शिफ्ट (Paradigmatic Shift) भूगोल के अध्ययन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाते हैं।

पैराडाइमेटिक शिफ्ट के कुछ उदाहरण:
  • स्थानीय क्रांति (Spatial Revolution): 1950 और 1960 के दशक में, भूगोल में मात्रात्मक (गणितीय) तरीकों और स्थानीय विश्लेषण का उपयोग बढ़ने लगा। इस क्रांति ने भूगोल को साइंटिफिक विषय बनाया।
  • मानवतावादी क्रांति (Humanistic Revolution): 1970 और 1980 के दशक में, भूगोल में मानवतावादी दृष्टिकोण का उदय हुआ। इस क्रांति ने भूगोल को लोगों, उनके अनुभवों और समस्याओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया।
  • पर्यावरणवादी क्रांति (Environmental Revolution): 1990 और 2000 के दशक में, भूगोल में पर्यावरणीय मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाने लगा। इस क्रांति ने भूगोल को पर्यावरण की रक्षा और संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
पैराडाइमेटिक शिफ्ट के कारण:
  • नए विचारों और अवधारणाओं का विकास: नए विचारों और अवधारणाओं के विकास से भूगोल के अध्ययन के तरीके में बदलाव आ सकता है।
  • नई तकनीकी विकास: नई तकनीकी विकास से भौगोलिक डेटा एकत्र करने, रिसर्च करने और प्रस्तुत करने के नए तरीके विकसित होते हैं।
  • नए सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों का उदय: नए सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के उदय से भूगोलवेत्ता को इन मुद्दों का अध्ययन करने और समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
पैराडाइमेटिक शिफ्ट का प्रभाव:
  • भूगोल के अध्ययन के तरीके में बदलाव: पैराडाइमेटिक शिफ्ट भूगोल के अध्ययन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।
  • भूगोल के अध्ययन के दायरे में विस्तार: पैराडाइमेटिक शिफ्ट भूगोल के अध्ययन के दायरे में विस्तार कर सकते हैं।
  • भूगोल के अध्ययन के लक्ष्यों में बदलाव: पैराडाइमेटिक शिफ्ट भूगोल के अध्ययन के लक्ष्यों में बदलाव ला सकते हैं।

Evolution of Geographical Thought Important Questions

1. भूगोल की परिभाषा, विशेषता और व्यापकता का क्या अर्थ है? उदाहरणों के साथ चर्चा करें।
2. भारत में भौगोलिक चिंतन का विकास कैसे हुआ? उसके प्रमुख योगदाताओं का विवरण दें।
3. भूगोल में परिघटनाएँ क्या हैं और इसका विज्ञान में प्रभाव क्या है?
4. पूर्व-आधुनिक समय में भौगोलिक चिंतन कैसे प्रारंभ हुआ? क्लासिकल और मध्यकालीन दर्शनों के प्रभाव की चर्चा करें।
5. आधुनिक काल में भौगोलिक चिंतन की प्रकिया कैसे विकसित हुई थी? जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, और संयुक्त राज्य अमेरिका में भूगोल के विकास की चर्चा करें।
6. पर्यावरणवाद और संभावनावाद का क्या है? इनका भौगोलिक समझ पर क्या प्रभाव है?
7. नव-निर्धारितवाद/प्रायिकतावाद क्या है? भौगोलिक अध्ययन में इनका क्या प्रभाव है?
8. भौगोलिक अध्ययन में आइडेंटिफिक और नोमोथेटिक दोनों की विशेषताएं क्या हैं?
9. मात्रात्मक क्रांति का भौगोलिक अध्ययन पर क्या प्रभाव है?
10. व्यवहारवाद का महत्व क्या है और यह भौगोलिक अध्ययन में कैसे उपयोगी है?
11. प्रणाली दृष्टिकोण क्या है और इसका भौगोलिक अध्ययन में क्या महत्व है?
12. रेडिकलिज़्म और नारीवाद की भौगोलिक चिंतन में क्या भूमिका है?
13. पोस्ट-मॉडर्निज़्म में भौगोलिक स्थान की अवधारणा कैसे बदली है? उदाहरण के साथ चर्चा करें।
14. भूगोल का भविष्य क्या हो सकता है? उदाहरण देकर चर्चा करें।
15. भूगोल में पैराडाइमेटिक शिफ्ट क्या है? इसके कारकों और असरों की चर्चा करें।

Evolution of Geographical Thought Syllabus, Notes, Important Questions in [PDF]

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निष्कर्ष

आज के इस पोस्ट में हमने सेमेस्टर 1 के Evolution of Geographical Thought के नोट्स, सिलेबस, और इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन को देखा, जो परीक्षा की दृष्टि से जरुरी हैं। आशा करते है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी रहा। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें।

About the Author

My name is Gyanesh Kushwaha, and I’m a college student who’s passionate about reading, writing and coding. I am here to share straightforward advice to students. So if you’re a student (high school, college, or beyond) looking for tips on studying, …

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