आज के इस पोस्ट पर हमलोग महाराणा प्रताप के इतिहास पर चर्चा करेंगे। उनकी वीरता की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। और इतिहास के दृष्टि से उनका परिचय बहुत आवश्यक है। मुझे उम्मीद है कि यह आपको पसंद आएगा और आपके के लिए एक अच्छी शुरुआत होगी।
यह पोस्ट आपके "महाराणा प्रताप का इतिहास (Notes)" के लिए है। मुझे उम्मीद है कि यह आपके नोट्स के लिए एक अच्छी शुरुआत होगी! अगर आपको इसमें कोई बदलाव चाहिए या कोई और जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं।
महाराणा प्रताप: स्वाभिमान और वीरता की अमिट कहानी
जब भी भारत के महान योद्धाओ की बात होती है, तो महाराणा प्रताप का नाम बड़े ही गर्व से लिया जाता है। वे केवल एक महान राजा नहीं थे, बल्कि आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के प्रतिक थे। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हो, अगर होसले बुलंद हो तो कोई भी ताकत आपको झुका नहीं सकती।
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के सबसे महान और वीर राजाओं में से एक थे। उन्होंने अपने आत्मसमान और मात्रभूमि की रक्षा के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उनकी वीरता, स्वाभिमान तथा देशभक्ति की गाथा आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
महाराणा प्रताप सिसोदिया वंश के राजा थे और उनका जन्म 9 मई 1540 कुम्भलगढ़ दुर्ग ( वर्तमान राजस्थान ) में हुआ था। उनके पिता राना उदयसिंह द्वितीय और माता रानी जयवंता बाई थीं। प्रताप बचपन से ही वीर, साहसी और स्वाभिमानी थे।
आचार्य राघवेन्द्र, महाराणा प्रताप के गुरु थे,उन्होंने महाराणा प्रताप को शिक्षा दिया और एक सफल योद्धा, कूटनितिज्ञ और धर्म रक्षक बनाया।
महाराणा प्रताप के तीन छोटे भाई थे: शक्ति सिंह, विक्रम सिंह, और जगमाल सिंह। उनके दो सोतेली बहने भी थी: चांद कंवर और मन कंवर। राना उदयसिंह के कई रानियों थी परन्तु यह एक आम ग़लतफहमी है की महाराणा प्रताप के 25 भाई और 20 बहने थी। महाराणा प्रताप के मुख्य रूप से 3 छोटे भाई और 2 बहने थी।
महाराणा प्रताप का विवाह
महाराणा प्रताप का प्रथम विवाह रानी अजबदे पंवार से हुई थी। उनकी दूसरी रानी, रानी फूल कंवर राठौर थी। महाराणा प्रताप राजा बनने के बाद उन्होंने अपनी राजनितिक स्तिथि को मजबूत करने और विभिन्न कुलो के साथ संबंध स्थापित करने के लिए कई शादियां की।
प्रताप का राज्याभिषेक
प्रताप अपने पिता उदयसिंह के ज्येष्ठ पुत्र थे। परम्परा के अनुसार ज्येष्ठ पुत्र ही राज्य का उतराधिकारी बनता था, किन्तु उदयसिंह ने इस परम्परा की पूर्णतया अवहेलना कर दी। उदयसिंह ने अपनी दूसरी पत्नी धीरजबाई भटियानी से उत्पन्न अपने छोटे पुत्र जगमाल को युवराज घोषित कर दिया। उदयसिंह रानी भटियानी पर विशेष अनुग्रह रखता था। इस निर्णय से प्रताप की आकांक्षाओं को ठेस पहुचना स्वाभाविक था, क्योकि वास्तुतः वही राज्य के उतराधिकारी थे। उदयसिंह के इस निर्णय से उसके साम्वंत भी नाराज थे। गोंगुदा में उदयसिंह की स्वास्थ ख़राब होने से उनकी मृत्यु के बाद जब उनके अंतिम संस्कार में जगमाल सम्मिलित नहीं हुआ तब प्रताप और उनके सम्वंतो ने मिलकर जगमाल को राजगददी से उठा कर बाहर फेक दिया और महाराणा प्रताप का राजभिषेक 28 फरवरी 1572 में गोंगुदा में हुआ था। महाराणा प्रताप के गोगुदा में राज्याभिषेक होने बाद वह कुम्भलगढ़ की पहाडियों में चले गए। उन्होंने यही कुम्भलगढ़ दुर्ग को अपनी नयी राजधानी बनायीं।
मुगलों से टक्कर
1572 में मेवाड़ की गद्दी संभालने के बाद प्रताप के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी मुगल राजा अकबर की अधीनता स्वीकार करना। लेकिन प्रताप ने झुकना नहीं सीखा था। उन्होंने स्पष्ट कह दिया - स्वतंत्रता भीख नहीं अधिकार है। महाराणा प्रताप बहुत ही शक्तिशाली राजा और एक वीर योद्धा थे। अकबर चाहता था की महाराणा प्रताप उनकी अधीनता स्वीकार कर ले ताकि वह महाराणा प्रताप की मदद से पुरे भारतवर्ष पर राज कर सके, परन्तु ऐसा हुवा नहीं। इसके पश्चात अकबर ने 1572 से लेकर 1576 तक महाराणा प्रताप के साथ संधि करने के भरपूर प्रयास किया। उसने सबसे पहले 'जलाल खां कोरची' के जरिये संधि प्रस्ताव महाराणा को भेजा पर इससे प्रताप के निर्णय में कोई परिवर्तन नहीं हुवा। इसके बाद अकबर ने मानसिंह , भगवानदास , और टोडरमल के द्वारा भी संधि प्रस्ताव भेजा पर सभी को निराशा ही हाथ लगी। अकबर जब संधि के इतने प्रयास करने के बाद वह असफल रहा तब उसके पास युद्ध करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रहा। अकबर ने 1576 के प्रारंभ में मेवाड़ अभियान की योजना बनायी।
हल्दीघाटी का युद्ध
अकबर जब महाराणा से संधि करने में असफल रहा तब, मेवाड़ पर आक्रमण करें की योजना बनाने के लिए मार्च 1576 में स्वयं अजमेर जा पंहुचा। वहा लगभग 15 दिन तक गहन विचार - विमर्श करने के बाद उसने मेवाड़ पर आक्रमण करने वाली सेना का सेनापति मानसिंह को बनाने का निर्णय लिया। 18 जून 1576 को महाराणा प्रताप और मुगल सेना के बीच हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना छोटी थी, लेकिन महाराणा प्रताप और उनकी सेना ने अद्वितीय वीरता और साहस का परिचय दिया। हालाकि युद्ध निर्णायक नहीं रहा, लेकिन महाराणा प्रताप ने कभी अकबर के आधीनता स्वीकार नहीं की।
इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने मुगल सेना के योद्धा बहलोल खां को अपने भुजावो के बल और तलवार की धार से उसे घोड़े सहित दो टुकडो में काट डाला था।
महाराणा प्रताप एक बड़ा ही बलशाली हाथी जिसका नाम 'रामप्रसाद' था, जिसने हल्दीघाटी के युद्ध के तबाही मचा दी थी। अंत में मुगल सेना ने रामप्रसाद को दो हाथियों की मदद से बन्दी बना लिया था। इस युद्ध में जब महाराणा प्रताप ने मानसिंह पर अपने भाले से हमला किया तब उनके घोड़े 'चेतक ' के पेरो में तलवार से चोट लग गई। फिर जब महाराणा प्रताप की सेना मुगलों के विशाल सेना के सामने हरने लगी तब महाराणा प्रताप को पीछे हटना पड़ा और चेतक उन्हें युद्ध भूमि से दूर ले जाते हुवे एक गहरी लम्बी खायी को छलांग मार कर पार करने से चेतक के घाव की वजह से चेतक की मृत्यु हो गई। फिर जब कुछ मुगल सेनिक महाराणा का पीछा करने लगे तब उनके अपने भाई शक्ति सिंह जो मुगलों के तरफ से लड़ रहा था उसने अपने भाई महाराणा प्रताप को बचाया और युद्ध भूमि से दूर ले गए।
इस युद्ध में महाराणा प्रताप के कई वीर सिपाही व सामंत शहीद हो गए थे। जेसे - हाकिम खां सुर, कृष्णदास, भीमसिंह, रावत सांग, जगमाल का पुत्र रामदास, रामशाह, झाला मानसिंह, झाला बिदा, मानसिंह, सोनगरा, गोपीनाथ, चरण केशव, मंत्री भामाशाह तथा उसके भाई ताराचन्द जेसे वीर सपूतो ने महाराणा का साथ दिया था।
भारतीय इतिहास की इस सबसे बड़ी लड़ाई के बाद मेवाड़, चित्तोड़, उदयपुर, कुम्भलगढ़, गोंगुदा, आदि जगहों पर मुगलों ने कब्ज़ा कर लिया था। और बाकी के राजपूत शासको ने अकबर की स्वाधीनता स्वीकार कर ली थी, इस युद्ध के बाद राजपूतो की शक्ति कमजोर पड़ गई थी।
हल्दीघाटी के युद्ध में जीत को लेकर सभी इतिहासकरो के अलग अलग मत है, लेकिन कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इस युद्ध में न तो अकबर के जीत हुई और न ही महाराणा प्रताप की जीत हुईं।
महाप्रयाण ( महाराणा प्रताप की मृत्यु )
महाराणा प्रताप अपने पिता के समय से ही मुगलों से जूझते रहे। मेवाड़ पर लगे मुगलों के इस ग्रहण का अंत सन 1585 में हुआ। इसके बाद महाराणा प्रताप अपने राज्य की सुख साधना में संलग्न हो गए, किन्तु दुर्भाग्य से लगभग ग्यारह वर्षो के बाद 19 जनवरी 1597 को उनका देहान्त हो गया। मृत्यु के बाद बंडोली गाँव में एक झरने के तट पर उनका अंतिम संस्कार हुवा।
महाराणा की मृत्यु पर अकबर की प्रतिक्रिया
अकबर महाराणा प्रताप का सबसे बड़ा शत्रु था, किन्तु उनकी यह लड़ाई किसी वक्तिगत द्वेष का परिणाम न थी, अपितु सिद्धांतो की लड़ाई थी। महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर को अत्यंत दुःख हुआ था, क्योकि हृदय से वह उनके गुणों का प्रसंशक था। अकबर, महाराणा प्रताप की वीरता, साहस और उनकी कभी न हार मानने वाली सोच के बहुत प्रभावित था।
महाराणा प्रताप के उतराधिकारी
महाराणा प्रताप के देहान्त के पश्चात उनके बड़े बेटे कुवर अमर सिंह को राणा वंश अगला राजा बनाया गाया। राणा अमर सिंह अपने पिता के समान ही बहादुर और बलशाली थे।
महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े कुछ सवाल ( FAQs )
प्रश्न:- महाराणा प्रताप कोन थे ?
उत्तर:- महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा व सिसोदिय राजवंश के शासक थे।
प्रश्न:- महाराणा प्रताप का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:- 9 मई 1540 ई में
प्रश्न:- महाराणा प्रताप का जन्म कहा हुआ था ?
उत्तर:- मेवाड़ के कुम्भलगढ़ में
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के माता-पिता का नाम ?
उत्तर:- राना उदयसिंह और महारानी जयवंताबाई
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के कितने भाई - बहन थे ?
उत्तर:- 3 भाई ( शक्ति सिंह, विक्रम सिंह, और जगमाल सिंह ) और दो बहने ( चांद कंवर और मन कंवर )
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के गुरु का नाम क्या था ?
उत्तर:- आचार्य राघवेन्द्र
प्रश्न:- महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक कब और कहा हुवा था ?
उत्तर:- 28 फरवरी 1572 में गोंगुदा में हुआ था।
प्रश्न:- महाराणा प्रताप का शासन काल कब तक रहा ?
उत्तर:- 25 वर्ष ( 1572 से 1597 )
प्रश्न:- महाराणा प्रताप की शादी कब हुई थी ?
उत्तर:- 1557 ई में
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के कितने पत्नियाँ थी ?
उत्तर:- 11 पत्नियाँ ( पहली पत्नी - रानी अजबदे पंवार और दूसरी पत्नी - रानी फूल कंवर राठौर )
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के किनते बच्चे थे ?
उत्तर:- 17 बेटे और 5 बेटिया
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के बड़े बेटे का नाम क्या था ?
उत्तर:- अमर सिंह
प्रश्न:- हल्दीघाटी का युद्ध कब हुवा था ?
उत्तर:- 18 जून 1576 ई में
प्रश्न:- हल्दीघाटी का युद्ध किसके - किसके बिच लड़ा गया था ?
उत्तर:- महाराणा प्रताप और मुगल राजा अकबर के बिच लड़ा गया था।
प्रश्न:- हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के सेनापति कोन थे ?
उत्तर:- हाकिम खां सुर
प्रश्न:- हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर का सेनापति कोन थे ?
उत्तर:- मानसिंह
प्रश्न:- महाराणा प्रताप की मृत्यु कब हुई थी ?
उत्तर:-19 जनवरी 1597
प्रश्न:-महाराणा प्रताप की मृत्यु कहा हुई थी ?
उत्तर:- चावण्ड ( राजस्थान )
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के उतराधिकारी कोण थे ?
उत्तर:- कुवर अमर सिंह
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम क्या था ?
उत्तर:- चेतक
प्रश्न:- महाराणा प्रताप के शक्तिशाली हाथी का नाम क्या था ?
उत्तर:- रामप्रसाद
प्रश्न:- महाराणा प्रताप की मृत्यु केसे हुई थी ?
उत्तर:- जंगल में शिकार करते समय लगे घाव की वजह से उनकी मृत्यु हो गई।
प्रश्न:- महाराणा प्रताप की जयंती कब मनाई जाती है ?
उत्तर:- 9 मई